साथ
साँस लेते उजालों से बनी
नींद की नीली झील में
एक आराम सा उबारता अपनापन
साथ
गुनाह की सी एक लज्जत
सन्नाटे की गद्देदार गोद सा
संगीत एक टीस भरे चैन सा
तुमको जब देखता हूँ....
एक उम्र से तराशा साथ
एक झिझकते समझौते सा ताकतवर
एक रोज़मर्रा तिलिस्म सा आरामदेह
एक ज़िंदा खनकता ख़्वाब
एक आदत जो रोज़ चौंकाती है
तो सोचता हूँ
ये साथ
मेरे बहुत क़रीब है
ज़रूरी है
मेरे होने की शर्त सा
27 April, 2021